9 January 2015

मैं कहाँ हूँ ?

मैं कहाँ हूँ ? क्यूँ इधर हूँ?
कहाँ मैं जाउंगी?
कब तलक ठोकरे, यूही खाउंगी ?

बंद आँखो मे कोई सपना सा ळिए
कब तलक चलते जाउंगी?

राह मे मुझको कितने आसमान मिले
कौन मेरा है? कैसे जान पाउंगी?

कितने अश्को के समुंदर के सैलाब हुए
तू  ही बता,  तैयरूंगी  या फिर मैं  डूब जाउंगी

मेरी आँखो को अंधेरो की आदत है
डर है उजालो को कभी  मैं  देख पाउंगी?

No comments: