25 November 2014

तेरी हर एक साँस मर गई

कही  दुबकी पड़ी छोटी सी ख्वाहिश ने अंगड़ाई  क्या ली
और देखते ही देखते बस पूरी भी हो गई  

फिर आया एक सैलाब  सा और मैं तो बह गई
और पल मे ये खुशनुमा  ज़िंदगी वीरान हो गई

मैं कहाँ हूँ और यहाँ मैं क्यूंकर आ गई
वक़्त हँसा 
तू जन्नत  मे थी  अब  जहन्नुम मे आ गई

मर मर के  जीने  की तेरी ये अदा मुझे तो  भा गई
कि ज़िंदा है तू पर तेरी हर एक  साँस मर गई

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