मेरी चाहतों में बस रहे हो
कह दो हां
मेरी राहतों में रह रहे हो
सुन लो ना!
हर सुबह तुमसे
शुरू हो गई ।
शामें तुम से जुड़ी और
रातों में खो गई ।
ख्वाबों की स्याही से
रगो में बह रहे हो,
तुम ही ना !
दुआओं में खुदा से
मांगा तुमको
तुम को , हां !
पन्नों पे लिखी इक
कहानी हो गई
बीते उस सफ़र की
रवानी हो गई
इसक की आयतों की
हर शह में रह रहे हो
तुम ही हां
रस्मों सा है निभाया
हां निभाया
तुमको जां
एल्बम की वो फ़ोटो
पुरानी हो गई
उम्र गुज़री, वक़्त गुज़रा
सब निशानी खो गई
यादों के उस शजर से
उड़ गए जो वो परिंदे,
तुम हो न
फिर भी आदतों में
है बसाया
तुमको जानेजां
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