7 April 2025

मेरी चाहतों में बस रहे हो






मेरी चाहतों में बस रहे हो 

कह दो हां 

मेरी राहतों में  रह रहे  हो 

सुन लो ना!



हर सुबह तुमसे 

शुरू  हो गई ।

शामें तुम से जुड़ी और 

रातों में खो गई ।

ख्वाबों की स्याही से 

रगो  में  बह रहे हो,

तुम ही ना !!

रब की आयतों में

तुम ही तुम हो 

सुन लो ना!


पन्नों पे लिखी एक

कहानी हो गई 

बीते उस  सफ़र की 

रवानी हो गई 

यादों के शजर से उड़ गए जो

वो परिंदे, तुम हो न 

फिर भी आदतों में 

तुम बसे हो 

सुन लो ना ...


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