मेरी चाहतों में बस रहे हो
कह दो हां
मेरी राहतों में रह रहे हो
सुन लो ना!
हर सुबह तुमसे
शुरू हो गई ।
शामें तुम से जुड़ी और
रातों में खो गई ।
ख्वाबों की स्याही से
रगो में बह रहे हो,
तुम ही ना !!
रब की आयतों में
तुम ही तुम हो
सुन लो ना!
पन्नों पे लिखी एक
कहानी हो गई
बीते उस सफ़र की
रवानी हो गई
यादों के शजर से उड़ गए जो
वो परिंदे, तुम हो न
फिर भी आदतों में
तुम बसे हो
सुन लो ना ...
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