एक खत
एक मियाद से
आँखो मे लिखा है
एक सच
कई सदियों से
दिल ने कहा है
क्या वो खत तुम पढ़ोगे बताओ ज़रा
क्या वो सच तुम सुनोगे बताओ ज़रा
हां बताओ ज़रा .....
हां बताओ ज़रा .....
क्या लिखा उस खत मे ये
कोई भी न जाने
जो कहा इस दिल ने वो
कोई भी न माने
एक कहानी पुरानी जो
वक़्त ने लिखी थी
उसमे राजा था, रानी
कहीं भी नहीं थी
एक नदी थी जो
सागर को मिलने चली थी
खो गई राह मे
या फिर गुम हो गई थी
जो अधूरी कहानी है सुनाओ ज़रा
दरियाओं को सागर से, मिलाओ ज़रा
हां बताओ ज़रा
हां सुनाओ ज़रा
......
ये जो खत तूने आंखों ही
आंखों में पढ़ा है
तेरे दिल को दिल ने
कुछ कहते सुना है
मेरा छोटा सा घर है,
बसाओ ज़रा
रानी अपने उस घर की
बनाओ ज़रा
जताओ ज़रा
पास आओ जरा
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