20 February 2024

मैं कहूं न कहूं

 




मैं कहूं न कहूं













मैं कहूं न कहूं

या कभी

कह न सकूं

हो सके... तो मुझे ....

ख़ामोशी... के शोर में....

सुन लेना!!




कायदों में बंधी

थोड़ी रस्में रखी

वायदों में पली

थोड़ी कसमें रखी 

इन तरानों की

इन फसानों की

है बुनी..... धुन नई...जानेजां

गुनगुनाऊं कभी

गीत इकरार के ,

हो सके तो मुझे 

धड़कनों के शोर में ...

सुन लेना !



जिरहों में जो ढली 

ख्वाहिशें थी  वो छली 

बिरहों में जो पली

ख़्वाब की वो डली 

सारे इनकारों की

सारे इकरारों की

है लिखी नज़्म ये जानेजां 

गुनगुनाऊं कभी

ग़ज़ल ये प्यार की 

हो सके तो मुझे 

लफ्ज़ों की डोर में....

बुन लेना!!





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