20 June 2022

बादल बूंदें बारिश और मैं

 सुनो,

आज तुम

मुझसे मिलने

इन बरसती रातों में 

 मत आना !

 

सोचा है मैंने,

आज बारिशें और मैं,

मैं और ये बारिशें,

भीगेंगें देर तक,

एक दूसरे में,

जब तलक,

एक एक बूंद में मैं 

रच बस न जाऊं !

और,

हर बूंद से रग रग,

मैं भीग न जाऊं !


नही चाहिए .. कोई,

हमारे दरमियां!

बस हो तो,

बादल हो, 

 बूंदे हो ,

 नशीली  बारिशें हो,

और हूं,  बस मैं !


1 comment:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बदल और बारिश का नशा । बहुत खूब ।