सुनो,
आज तुम
मुझसे मिलने
इन बरसती रातों में
मत आना !
सोचा है मैंने,
आज बारिशें और मैं,
मैं और ये बारिशें,
भीगेंगें देर तक,
एक दूसरे में,
जब तलक,
एक एक बूंद में मैं
रच बस न जाऊं !
और,
हर बूंद से रग रग,
मैं भीग न जाऊं !
नही चाहिए .. कोई,
हमारे दरमियां!
बस हो तो,
बादल हो,
बूंदे हो ,
नशीली बारिशें हो,
और हूं, बस मैं !
1 comment:
बदल और बारिश का नशा । बहुत खूब ।
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