तेरी आंखों से...
तेरे होंठों से ...
हमने तो शब भर बात की ...
कब दिन ढले
कब रात हो
यूं वक्त से फ़रियाद की ....
सोचा कभी
तेरे इश्क़ का
क्यों न एहतराम मैं कर ही लूं
तेरी चाहों में
तेरी बाहों में
उम्र ये तमाम मैं कर ही लूं
तू चला गया
मुझे छोड़ कर
तेरे इश्क़ की ये मियाद थी..
अब तू नही
तेरी यादों से
हर लम्हा हर पल बात की
7 comments:
प्रेम से सराबोर रचना ।
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(४-०६-२०२२ ) को
'आइस पाइस'(चर्चा अंक- ४४५१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
जी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(४-०६-२०२२ ) को
'आइस पाइस'(चर्चा अंक- ४४५१) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
प्रेम के अहसास से लबरेज़ मर्मस्पर्शी रचना। मेरे ब्लॉग पर स्वागत है ।
प्रेम के अहसास से लबरेज़ मर्म स्पर्शी रचना। मेरे ब्लॉग पर आपका हार्दिक स्वागत है।
वाह!!! विकल विरह भाव का बहुत सुंदर चित्रण!!!
जो बात मिलन में घटित नहीं होती वह विरह में हो जाती है, कोई गोपी राधा तभी बनती है
Post a Comment