अपनी हथेली पर देखो
इक चांद उकेरा है मैने
कुछ तारें सजाए है मैने
कुछ ख़्वाब उगाए है मैंने
ये चांद सुबह तक सूखेगा
फिर पतझड़ सा
झड़ जाएगा
टूट गिरेंगे तारें भी
बस ज़ख्म कोई रह जायेगा
सूखेगा माना ये घाव सही
पर दाग़ कोई रह जायेगा
किस्सा ये अधूरा अपना फिर
दुनिया को सुनाया जाएगा
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