23 May 2022

कब तक यूं ही

 कब तक यूं ही बात न हो 

साथ तो हो पर साथ न हो 

धरती अंबर से न बोले 

ऐसे तो कभी हालात न हो 


धूप भले फिर लाख जला ले 

छांव का सर पे हाथ न हो 

उखड़े उखड़े  दिन हो चाहे 

मायूस मगर ,  ये रात न हो 


#बस_यूँ_ही

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