24 April 2020

सभ्यताएं

बूढ़े पहाड़ अक्सर
जाड़ों में
पीली सुनहरी
धूप सेंकते
सुनाते है
नदियों को
कितनी  ही कहानियां

हर नदी
अपने बूढ़े बाबा की
कहानी लिए
सुनाती चलती  है
शहर शहर
नगर नगर

 वे छोड़ जाती है
कहानी के अवशेष
और
इन्हीं अवशेषों से
उग आती है 
सभ्यताएं कई 
और 
वो बूढ़ा पर्वत 
मुस्कुराता है कहीं 

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