आवाज़-
पारदर्शी आवाज़
क्या कभी सुनी है तुमने?
ये कुछ ऐसी
आवाज़ें है
जिनके झीने से
परदे से
झाँकती है
ख़ुशियाँ कभी..
तो सिसकतें है
कुछ ग़म भी
यदा -कदा..
मगर
एक दरकीं हुई सी
ख़ामोशी भी
रहती है
दरमियाँ इनके..
जो फ़ुर्सत मिले
कभी तो
इन आवाज़ की
दरारों को
अपनी आवाज़ से
भर देना कभी
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