मैं स्त्री..
मैं,
बर्फ़ हो...थम सकती हूँ!
जल हो...बह सकती हूँ!
भाप हो ... उड़ भी सकती हूँ!
हे पुरुष,
मैं...अनंतस्वरूपा हूँ!
मैं ...जीवनदायिनी
मृत्युदायिनी भी हो सकती हूँ ...
है जो प्रवाहित ऊष्मा
जो है समाहित ऊर्जा
इसका चयन जब तुम करो!
सुनो तब ही
इस शार्वि को
शर्व तुम करो!
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