काले धागे में है बांधी
ख़्वाहिशें कई
रस्म और रिवाज़ है ये
रिवायतें नई
टीका एक काजल का
माथे पे लगाए के
हाथों में गले में बाँधे
ताबीज़ कई
झाड़ फूँक दे जो कोई
जादू कट जाएगा
काली कमली वाले से
माँगी दुआएँ कई
लिम्बू और मिर्ची मैं
टाँग दूँ किवाड़ों पे
काली चौदस की रातें
नाप लूँ कई
लाशों से लोबान से
धुआँ धुआँ रातें हो
औघड़ सी जैसे ये
ज़िंदगी हुई
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