21 July 2017

ख़्वाबफ़रोश आँखो की बढ़ने लगी शैतानियाँ

Courtesy : Internet

ख़्वाबफ़रोश आँखो की बढ़ने लगी शैतानियाँ 
रहने दे, इन्हें करने दे अपनी ही मनमानियाँ ...

मकड़ी के  जाल सा तू 
उलझे तुझमें ख़्वाब है 
रात सा पोशिदा तू 
सुलझे जो वो राज है 
उलझी रहूँ  ताउम्र तुझमें दिलजानियाँ 
रहने दे, मुझे  करने दे अपनी कुछ मनमानियाँ ...

रुक गई चलती हुई 
फ़ोन पर ये उँगलियाँ 
एक हेलो कहने से तेरे 
दौड़े  बदन में बिजलियाँ 
सुनती रहूँ तुझको यूँ सोणीया 
रहने देकरने दे मुझे अपनी कुछ मनमानियाँ ...


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