इस सफ़र का तू अंजाम - लिखूँगी !
लफ़्ज़ लफ़्ज़ पढ़ लूँगी तुझको
फिर ग़ज़ल कोई तेरे नाम - लिखूँगी !
लोक लाज के तोड़ के धागे
बावरा मन तेरे पीछे भागे
जब जब देखूँ सूरत तेरी
मन में प्रीत की पीड़ सी जागे
पीड़ अभागे मन की
मैं इस बार - लिखूंगी
मैं इस बार - लिखूंगी
तुझको फिर मैं इक शाम - लिखूँगी !
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