28 April 2017

तुझको फिर मैं इक शाम - लिखूँगी



Courtesy Internet 
तुझको फिर मैं इक शाम - लिखूँगी !

इस सफ़र का तू अंजाम - लिखूँगी !
लफ़्ज़ लफ़्ज़ पढ़ लूँगी तुझको 
फिर ग़ज़ल कोई तेरे नाम - लिखूँगी !

लोक लाज के तोड़ के धागे 
बावरा मन तेरे   पीछे भागे 
जब जब देखूँ  सूरत तेरी 
 मन में प्रीत  की पीड़ सी जागे 
पीड़ अभागे मन की
मैं इस बार - लिखूंगी 
तुझको फिर मैं इक शाम - लिखूँगी !

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