31 January 2017

बलखाती इन बेलों से लिखी आयत उसे पढ़ा लेना

बलखाती बेलों से लिखी आयत उसे पढ़ा लेना
चाँद हथेली दे जाए तारों से नाम कढ़ा लेना

‪शाम ढलें से  जलता सूरज पिघला  गीले पानी में ‬
‪सुबह उसे तुम पोंछ-पाँछकर उफ़क पे  फिर  चढ़ा देना ‬

रात क़रीने से तेरे मैं ,  बिस्तर पे रख आई हूँ
जागती रहती उन आँखों को तुम ये रात उढ़ा देना

दिन भी गुज़रा हौले से, ये रात गुज़रने आई है
वक्त सुनो इस उम्र में  चुपके से दिन बढ़ा देना


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