मेरे मेहरबाँ कोई, ख्वाब सजा तू
जलता शरारा हूँ मैं, आ के बुझा तू
मेरे मेहरबाँ ......
दिन ये अब न ढले
पहरों रात चले
वक़्त क्यों है सोया ......
वक़्त क्यों है सोया ......
इसे आ के जगा तू ......
मेरे मेहरबाँ ......
मंज़िल पास न आये
राहें मुँह मोड़ जाए
मैंने हौसला भी खोया ......
मैंने हौसला भी खोया ......
मेरे मेहरबाँ ......
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