10 December 2015

जबसे मिला तू, हो गई गुम,



जबसे मिला तू,  हो गई गुम, 
मैंने चुना, तू मुझको तो चुन,
साथीया  .... मेरे माहिया ... साथिया ..


चुप को लगी, कैसी ये धुन 
आवाज़ उसकी, तू  भी तो  सुन 
खामोशियाँ  कहने लगी,बदमाशियाँ गाने लगी 
कोई नई सी धुन ....
साथीया  .... माहिया...

ख्वाबो को मेरे,  पर यूँ लगे 
आँखों में कोई, सपना जगे 
तनहाइयाँ  पलने लगी, अंगड़ाईयाँ लेने लगी 
सपने तू मेरे  ही  बुन .....
साथीया  .... माहिया ...


No comments: