बहुत हुआ, अब चलते है ।
करो दुआ, अब चलते है ।
आसमां हुआ ज़मीं ..
और ज़मीं -आसमां !
झूठ के अब पाँव हुए,
सच हुआ-कोई दास्ताँ !
रही न वो आबो-हवा ..
बहुत सहा-अब चलते है ।
करो दुआ-अब चलते है ।
ख़ून,,, पानी सा हुआ ।
पानी भी ...फ़ानी हो गया ।
नफ़रत का हर तरफ़ धुँवा ..
साँसो में बसा हुआ ...
ज़हर बनी गई है दवा ..
इंसान इंसान न रहा ।
चलो यहाँ से - अब चलते है ।
बहुत हुआ - अब चलते है
करो दुआ - अब चलते है
No comments:
Post a Comment