11 August 2015

गहरा सा ज़ख़्म दे गया है … ये वक़्त जाते जाते


शिकन  माथे   पे दे  गया है ,
ये वक़्त जाते जाते  ....... 
गहरा   ज़ख़्म  दे गया है  …
ये वक़्त जाते जाते  ……  

अब  फिर यक़ीं    न होगा 
लाख चाहकर भी ,
 वो शख़्स  ऐसा धोख़ा 
दे गया है, जाते जाते  ……


एक रौशनी  जलाई,  
देख,  रातो के  काले साये  
लगाई आग मेरे घर में ,
उसी शम्मा ने जाते जाते 











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