22 July 2015

मेरे अंदर मेरा आइना कहीं से , टूट रहा,



मेरे अंदर मेरा आइना  कहीं से ,  टूट रहा,
कभी खुद से, तो ख़ुदा से, मैं , रुठ रहा।

मैं यकीं खुद पे करू क्योंकर  ? ये बता !
मेरे  अंदर मेरा, ईमान  मुझे पूछ रहा !

मैंने हर बूत,  हर मीनार में तुझे ढूंढ लिया!
अब तेरे खुदा  होने का भरम  मेरा टूट रहा !






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