1 July 2015

तेरी बंदगी पर जाने कितने ही सवाल उठे

तेरी   बंदगी पर जाने, कितने  ही सवाल  उठे,
जब भी  ये  उठे दिल में , तेरे बन्दों में  बवाल उठे।

ऐ काश क़ि मिल जाता मुझे, क़ाबा  काशी में
तेरे  एहतेराम में  जाने क्यों, ऐसे ही ख़याल उठे।

तेरी हिज्र की शब में जब, रोया करता  था  दिल.
मेरी उमर से हर शब को, कितने  ही साल उठे।




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