बेठी हूँ मैं सदियों से मेरी डोली को कहार दिजे
बडी उलझी है ये लटे मेरी उँगलियो से सँवार दिजे
ये माना कि ग़ज़ल नही हूँ मैं किसी मशहूर शायर की
मुझे अपने किसी एक शेर मे थोड़ी सी जगह दिजे.
नही माँगा कभी मैने ए खुदा अपनी किस्मत से कुछ ज़्यादा
बस अपने आसमा का महज़ छोटा सा एक टुकड़ा मुझे दिजे
ना जाने क्यू मगर उनसे कब मैं प्यार कर बेठी
उनके दिल मे ऐ मालिक मुझे थोड़ी जगह दिजे
कि जी नही पाउंगी अब मैं और बिना उनके
किश्तो मे सही खुदा मुझको चंद साँसे उधार दिजे
बडी उलझी है ये लटे मेरी उँगलियो से सँवार दिजे
ये माना कि ग़ज़ल नही हूँ मैं किसी मशहूर शायर की
मुझे अपने किसी एक शेर मे थोड़ी सी जगह दिजे.
नही माँगा कभी मैने ए खुदा अपनी किस्मत से कुछ ज़्यादा
बस अपने आसमा का महज़ छोटा सा एक टुकड़ा मुझे दिजे
ना जाने क्यू मगर उनसे कब मैं प्यार कर बेठी
उनके दिल मे ऐ मालिक मुझे थोड़ी जगह दिजे
कि जी नही पाउंगी अब मैं और बिना उनके
किश्तो मे सही खुदा मुझको चंद साँसे उधार दिजे
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