हर ख्वाहिश को घुट घुट कर मरते देखा
बुलुंद आसमानो को ज़मीन पर गिरते देखा
ज़िंदगी मे कहाँ नसीब थी खुशियाँ
बस अपनी उम्र मे सालो को जुड़ते देखा
इन आँखों मे कहाँ सपनो की गुंजाइश थी
बस इनसे हमने आंसूओ को बहते देखा
हर शख्स यहाँ खरीदार हुआ
हर मोड़ पे हमने खुद को बिकते देखा
हर वक़्त हरा कोई जख्म हुआ
हमने अपनो को जले पर नमक छिड़कते देखा
कतरा कतरा लम्हा लम्हा
ज़र्रा ज़र्रा हमने खुद को मिटते देखा
ए वक़्त! ले आज़मा ले मुझको फिर से
हर बार हमने गिरकर खुद को संभलते देखा
बुलुंद आसमानो को ज़मीन पर गिरते देखा
ज़िंदगी मे कहाँ नसीब थी खुशियाँ
बस अपनी उम्र मे सालो को जुड़ते देखा
इन आँखों मे कहाँ सपनो की गुंजाइश थी
बस इनसे हमने आंसूओ को बहते देखा
हर शख्स यहाँ खरीदार हुआ
हर मोड़ पे हमने खुद को बिकते देखा
हर वक़्त हरा कोई जख्म हुआ
हमने अपनो को जले पर नमक छिड़कते देखा
कतरा कतरा लम्हा लम्हा
ज़र्रा ज़र्रा हमने खुद को मिटते देखा
ए वक़्त! ले आज़मा ले मुझको फिर से
हर बार हमने गिरकर खुद को संभलते देखा
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