Its about me, मैं and myself
मैं अब ख़ुद में
ठिठक कर रुकती नहीं
कभी
देखती नहीं
अनायास पलट कर
देख भी लूं कभी
तो किसी अनजान राही सा
सरसरी नज़र फेर
खुद से बचती बचाती
निकल जाती हूं
सुदूर कहीं
रिसते और खदबदाते
घावों से भरे
अंधेरों की ओर
जहां सभ्यताएं
पनपती नहीं कभी
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