अपनी अपनी सबने कही है
सब को लगता है वो सही है
धुआं चिलम चिता और चिंता
आंखों से कब सब नदी बही है
टूटे रिश्ते , टूटे खंडहर
कमज़ोर कड़ी हरदम ही ढही है
वर्तमान है कीमती पूंजी
भूत यही है भविष्य यही है
पुण्य का क्रेडिट पाप का डेबिट
रब के पास सब खाता बही है
छुप जाओ तुम चाहे ख़ुद से
'उसकी ' आंखें देख रही है
~संध्या
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