22 December 2020

Aaj kal aur kal

 ममता से त्रस्त

हुआ सारा बंग है 

छिड़ी केंद्र औ राज्य में 

देखो कैसी जंग है !!

ममता की कितनी

कुटिल और

खूनी चाले...

हो रहे न जाने बंग में 

कितने खूनी  घोटाले !

रोज की खूनी जंग से

हुई निर्दोष ये जनता

बला की तंग है !!



दिल्ली कहने को 

देश का दिल  है 

हर तरफ़ रंगीनी 

और महफ़िल है!

पर दिल्ली का दिल 

मफलर में बंद है 

यहां सड़कें बंद 

चौराहे बंद है !!

धरने अनशन पे बैठे

लोग  ये चंद है !!

अफसोस ...

किसी मुद्दे पे रोज़ ही 

ये दिल्ली बंद है !



सड़कों पर बैठा 

किसान " किन लोगो" के 

संग है 

देश की जनता 

देख हैरान परेशां 

और दंग है !

अरे सुनो ओ बाबू ...

अरी सुनो न मैय्या ...

आबोहवा में छाया 

देशद्रोह का 

कैसा रंग है !!



अर्बन नक्सल ने 

फैलाया जादू 

जेएनयू जामिया की 

भीड़ हुई बेकाबू

मजहब के नाम पे 

चढ़ा खून का रंग है 

हर तरफ है दंगे 

बस खूनी जंग है 

मचा हर तरफ  

कैसा हुडदंग है !

विधर्मी ये ..

ये राष्ट्र  के  द्रोही 

देखो हुए 

कैसे मस्त मलंग है !!


कश्मीर से 

कन्याकुमारी सब 

एक मसला है 

हर एक मुद्दा यहां 

जैसे बारूद असला है !

बात बात पे 

नारे लगते !

देश भर में 

शाहीन बाग है पलते !

भारत माता देखो 

थकी निढाल 

बेदम है 

पर इस देश मे 

सबकी अपनी ढपली

अपना ही ढंग है !



उठो जागो 

मेरे देश के प्यारो 

देश की मिट्टी ही 

अपना दम खम है 

है आग लगी

 मेरे देश में यारों

मिट्टी में इसकी 

लहू  और बारूद की 

गंध है  


उठो मेरे यारों 

हम देश    बचा ले

आओ प्रण ले

ये देश हमारा 

तन मन और धन है !!

जिए जब तक 

हम देश के 

भारत माता संग है !!



3 comments:

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 22 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

Jyoti Dehliwal said...

बहुत सुंदर।

Sudha Devrani said...

बहुत सटीक सुन्दर एवं समसामयिक सृजन।