कि तेरे बिना मैं गुज़ारूँ ज़िंदगी ..
मुमकिन नहीं ...
कि तुझे मैं जीत कर यूँ हारूँ ज़िंदगी ...
मुमकिन नहीं ...
तन्हाई में ...
रसवाई में ...
तुझको मैं नहीं पुकारूँ ज़िंदगी ..
मुमकिन नहीं
इश्क़ लम्हा ...तुम जियो
इश्क़ लम्हा ...मैं जियूँ
इश्क़ प्याला ज़हर का
तुम पियो ...मैं पियूँ
कि तेरे इस इश्क़ में ख़ुद को ज़िंदगी
मैं न वारूँ मुमकिन नहीं ...
कि तेरे बिना मैं गुज़ारूँ ज़िंदगी ..
मुमकिन नहीं ...
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