है झुर्रिया या वक़्त की कोई दास्तान
चेहरो पे ये जो उम्र का पड़ाव सा है
होड़ है हर गम में मुझको और दर्द दे
माहौल अपने शहर में कुछ चुनाव सा है
अबके मौसम-ए-हिज्र हुआ कुछ गर्म है
कहीं जल रहा यादों इक का अलाव सा है
है निशान मेरी रूह पर तेरा अब तलक
माहौल अपने शहर में कुछ चुनाव सा है
अबके मौसम-ए-हिज्र हुआ कुछ गर्म है
कहीं जल रहा यादों इक का अलाव सा है
है निशान मेरी रूह पर तेरा अब तलक
तू बीते हुए कल के किसी हरे घाव सा है
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