22 February 2016

शायद यहाँ से मुझे अब चलना चाहिए


उसने  कहा था - "ये तुम्हारा बार बार whats app  एक्टिवटे deactivate  करना - सच कहूँ तो तुम मुझे बिलकुल समझ नहीं आती हो"

" हाँ, हाँ, - मैं dicey  हूँ , fickle  minded  हूँ - cant help ! I tried changing myself - couldnt !- This is me !
"True - I have mood swings - and my age only aggravated it . yes , I had phases of depression - और सुनो मैंने suicide attempt  किया था - failed ! हाँ , मेरी एक advice  है तुम्हारे लिए -  ...... yes   u got me right !! "

- जा रही हूँ मैं - stay blessed !  ... Be happy May Lord give you all happiness!  Good bye .. ! "

हर थोड़े दिन पर ये मूड swings  - पागल हो चूका था आदित्य - तंग आ गया था - बर्दाश्त की भी हद होती है - आखिर चाहती क्या थी वो  !
हर थोड़े दिन पर वो मेंटली vegitative  state  में आ जाती थी क्रिना ।   आदित्य ज़िमेदार नहीं था इन सब के लिए - जब मिला था तो लगा था की क्रिना   सुलझी हुई पढ़ी लिखी successful  enterpreneur  थी जिससे वो एक बिज़नस ट्रिप के दौरान मिला था।

बहार से तो  से कम ऐसा ही लगता था - मगर - वो एक attention  seeker  थी शायद ! उसे एक दोस्त बॉयफ्रेंड या पति की नहीं - एक कॉउंसलर की ज्यादा ज़रूरत थी !

और बस अनजाने में ही दोस्ती कर बैठा था आदित्य उससे  और आज वो गले की फाँस  बन गई थी
आदित्य खुद एक successful  बिजनेसमैन  था - उसके पास इन सब बातो के लिए तो कतई फुरसत नहीं थी - और एक पागल को झेलना- वो अब बर्दाश्त करने को तैयार नहीं था !

जब आदित्य ने गुड बाई मैसेज पढ़ा - याद आया उसे - क़ि  पिछली कई बार वो हर बार  उसके मानाने पर मान जाता था - लेकिन अब नहीं - तय कर चूका था आदित्य !

क्रिना  अगले दिन फिर गुड मॉर्निंग मैसेज के साथ आ गई थी whats  app  पर।  आदित्य बहुत सुलझा समझदार इंसान था - ये ब्लॉक करना म्यूट करना उसकी समझ से पर थे -  उसे ये सब मनो बच्चो का खेल सा लगता था  . उसने  न म्यूट किया  और न ही ब्लॉक किया था क्रिना  को  .
मगर आज शायद ज़िन्दगी में पहली बार किसी को ब्लॉक करने का ख़याल आया था उसे। नहीं  ... इन सब चीज़ों के लिए वक़्त कहाँ होता था उसके पास।  उसकी अपनी ज़िन्दगी थी - दोस्त थे परिवार था एक सर्किल था - फिर स्पोर्ट्स -वो एक ऐसी चीज़ थी जहाँ जाकर सब कुछ भूल जाता था आदित्य।

नहीं अब उसने तय कर लिया था - क्रिना  को इग्नोर ही करना ठीक होगा - चार दिन पांच दिन - फिर खुद ही बंद कर देगी जब कोई जवाब नहीं मिलेगा उसे।

कोई जवाब नहीं दिया था आदित्य न मैसेज का

यहाँ क्रिना  इतना तो समझ गई थी - अब आदित्य और उसके रिश्ते में वो बात नहीं रही है।
ख़त्म हो चूका था वो एक रिश्ता - जो अगर कभी था भी।   क्रिना  किसी एक शाम की तरह थी - वक़्त से लड़ने की नाकाम कोशिश  करती हुई - अब भी बीते वक़्त में रहती थी - अतीत में रहती थी - बहार आना ही नहीं चाहती थी।

क्यूँ नहीं समझती थी की किसी को ज़बरदस्ती पाया नहीं जा सकता  .
आज फिर एक मैसेज डाला था  - क्रिना  ने - लिखा था - "जा रही हूँ हमेशा के लिए - कही नहीं मिलूंगी - कभी नहीं मिलूंगी - आज के बाद कभी मैसेज नहीं करुँगी "

रोती रही थी क्रिना  - अपने ऑफिस के स्टाफ की नज़रे बचाकर।
जाने क्या जी में आया और फिर से लिखा था एक और मैसेज  - " मैं भी कितनी बुध्दू न सोचती थी तुम -कहोगे  पागल लड़की ऐसे भी  कोई जाता है क्या लेकिन मैं गलत थी "

 भी कोई जवाब नहीं था आदित्य का  ......

रोटी  रही क्रिना  जाने क्या सोचकर  ... सबब कुछ उसका किया धरा था। . मगर खुद ही इतनी उलझी हुई थी। .. बिलकुल साझ से पर था उसके की वो लिख क्या रही है और कर क्या रही है।

कुछ दिनों पहले आदित्य ने कहा था वो किसी मीटिंग के सिलसिले में ब्रुसेल्स जाने वाला था और अगले दिन सुर्खियां थी अखबार की - ब्रुसेल्स एयरपोर्ट पर फिदायीन हमला हो गया था !!

यूँ वो जानती थी की इस समय तक डेल्ही आ चूका था आदित्य मगर - जाने कैसा पागलपन था सवार - एक मैसेज फिर डाला था उसने - "सुबह का समाचार देखा। उम्मीद करती हूँ आप जहाँ  होंगे ! आपकी सकुशलता की कामना करती हूँ"

फिर दो दिन गुज़र गए थे - आदित्य ने कोई जवाब नहीं दिया था  ....  आदित्य ने उसे अपनई ज़िन्दगी - दिलो दिमाग , फ़ोन , मीडिया सब जगह से निकल फेंका  था।  वैसे भी कोई ख़ास पहचान नहीं थी उसकी  -  और फिर ऐसे रिश्तों की उम्र भी कहाँ होती है !!

काम से काम उसकी कोई जवाबदेही नहीं थी  - अपनी मर्ज़ी से आई थी वो उसकी ज़िन्दगी में और अब - वो कण्ट्रोल चाहती थी उसकी ज़िन्दगी पर ! नामुमकिन था ये तो

यहाँ क्रिना  





















रिश्तों को रिश्तों का हक़ मिलना चाहिए 
शायद  यहाँ से मुझे, अब चलना चाहिए 

बहक सी  गई थी कुछ, तेरे साथ रहकर मैं 
सच कहते हो, मुझे अब सम्भलना चाहिए 

चाहा तुम्हें इतना क़ि खुदाया   बना दिया 
बेहतर था कि इंसा तुम्हे समझना चाहिए 

बरसो गुज़र गए, मगर अब भी वही हूँ मैं  
मुझे भी वक़्त के साथ, अब ढलना चाहिए 


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