30 September 2015

सुनो, हाँ, मैं तुम्हारी हूँ।

तुम पे दिल  हारी हूँ ,
सुनो, मैं तुम्हारी हूँ! 
हाँ, मैं  तुम्हारी हूँ !


रतजगों में 
तू ही तू है 
ख़्वाहिशें   है जवाँ  
आहटों में   
 होता है मुझको 
 आने  का तेरे गुमाँ, 
 तुझ  पे वारी हूँ। 
सुनो, हाँ, मैं तुम्हारी हूँ। 


दिन सुबह से 
धुआँ  उड़ाए 
शाम का है समां !
 रात  भर है  
चाँद तनहा ,
तनहा है आसमाँ !
तनहा , बेचारी  हूँ।  
सुनो, हाँ, मैं तुम्हारी हूँ। 


नब्ज़ धीमे
 धीमे धड़के 
साँस - साँस  धुआँ 
इश्क़ बेरँग 
अब फिरोज़ी हुआ  
अधूरी हूँ या सारी हूँ। 
सुनो, हाँ, मैं तुम्हारी हूँ। 

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