24 September 2015

सुनो थामोगे तुम उम्रभर, मेरा हाथ क्या ??


मेरे क़ाग़ज़ो की तेरी क़लम से हुई है बात क्या?
बातों बातों में कह गये तुम, थी वो बात क्या ?

कुछ लम्हे थे, वक़्त से कल कहीं खो गये
तुम कहो, आए है वो, तुम्हारें साथ क्या ?

दिन उजालों की, तान चादर क्योंकर सो गया
शाम आयेगी कैसे, आयेगी अब भला रात क्या ?

तुम मिले तो यूँ लगा मिल गया सारा जहाँ 
सुनो थामोगे तुम उम्रभर, मेरा हाथ क्या ??

No comments: