मेरे राहबर को भेज दे तू, अब तो इस जमाने मे
उम्र अपनी गुजर गयी ए खुदा! तेरे आज़माने मे.
वो तो उम्र भर सोच कर ये रूठे बैठे रहे हमसे
कितना आएगा मज़ा यूँ रूठने मनाने मे
ए हवाओ! मिलो गर उनसे, तो पूछना ये फक़त
कितने बरस और यूँही गुजर जाएँगे उनके आने मे.
मैने दिलो जान से जानिब सिर्फ़ उन्ही को चाहा है,
काश ! कह दे, कोई मेरी बाते, उनके कानो मे.
उम्र अपनी गुजर गयी ए खुदा! तेरे आज़माने मे.
वो तो उम्र भर सोच कर ये रूठे बैठे रहे हमसे
कितना आएगा मज़ा यूँ रूठने मनाने मे
ए हवाओ! मिलो गर उनसे, तो पूछना ये फक़त
कितने बरस और यूँही गुजर जाएँगे उनके आने मे.
मैने दिलो जान से जानिब सिर्फ़ उन्ही को चाहा है,
काश ! कह दे, कोई मेरी बाते, उनके कानो मे.
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