9 January 2015

कह दे कोई

मेरे राहबर को  भेज दे तू, अब तो  इस जमाने मे

उम्र अपनी गुजर गयी ए खुदा! तेरे आज़माने मे.


वो तो उम्र  भर  सोच कर ये रूठे  बैठे रहे हमसे

कितना आएगा मज़ा  यूँ रूठने  मनाने   मे


ए हवाओ!  मिलो गर उनसे, तो पूछना  ये फक़त

कितने  बरस  और यूँही  गुजर जाएँगे उनके आने मे.


मैने दिलो जान से   जानिब  सिर्फ़ उन्ही  को चाहा है,

काश ! कह  दे,  कोई मेरी  बाते, उनके कानो मे.

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